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सेना को मिले कम बजट पर नाराज़ हुए उप सेना प्रमुख

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Md Zakariya khan

देश मे राजनीतिक, सामाजिक महकमों में हमेशा इतनी उथल रहती है कि इसके अलावा लोगो का कही और ध्यान ही नहीं जा पाता। मोदी सरकार हर उस मुद्दे को दबाने के लिए जो उनकी पोल खोलता हो, कोई दूसरा धार्मिक या सामाजिक मुद्दा तैयार रखती है।
कुछ ही दिनों पहले अरुण जेटली ने 2018 -2019 का बजट पेश किया, कुछ दिनों तक इसको लेकर अच्छी बुरी खूब चर्चाएं हुई और बाद में ध्यान अच्छी तरह किसी अन्य मुद्दे पर केंद्रित कर दिया गया।
हाल ही में सेना ने सरकार पर सैन्य साजो सामान के लिए कम बजत आवंटन करने की बात कही जिससे सरकार में देश की रक्षा के प्रति प्रतिबद्धता साफ दिखाई पड़ती है।
सेना ने कहा कि आवंटित हुए बजट ने उनकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। पिछले कुछ समय से जम्मू कश्मीर में सेना पर हमलों की संख्या बढ़ गई है तो दूसरी तरफ चीन भी बॉर्डर पर अब अधिक निगाहें रखता है उड़ी अटैक, डोकलाम  विवाद ,सर्जिकल स्ट्राइक इन सब के बाद सेना अपने हथियारों के आधुनिकरण और मेक इन इंडिया के प्रोजेक्टों की ओर ध्यान देना चाहती थी।
लेकिन सेना की दुर्दशा और बुरी हो गई है क्योंकि पहले की खरीद की रकम चुकाने के लिए भी पर्याप्त फंड नहीं है।
आर्मी के वाइस चीफ शरद चंद ने रक्षा पर संसद की स्थायी समिति को बजट पर अपना पक्ष बताया है। वाइस चीफ ने समिति को बताया कि 2018 -2019 के बजट में सेना की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
सेना को आधुनिकरण के लिए 21,338 करोड़ रुपए का आवंटन पर्याप्त नहीं है। वर्तमान में चल रही 125 से ज़्यादा योजनाओं , इमरजेंसी खरीदारी एयर दूसरी ज़रूरतों के लिए 29,033 करोड़ रुपए की आवश्यकता है।
सेना ने बताया कि किसी भी सेना के लिए एक तिहाई उपकरण पुराने की कैटेगरी में,  एक तिहाई सामयिक और बाकी एक तिहाई अत्याधुनिक होने चाहिए। पर सेना के एक चौथाई उपकरण ही सामयिक व 8 फीसदी ही अत्याधुनिक की श्रेणी में आते हैं। बाकी सभी 68 फीसदी पुराने उपकरण हैं।
सेना अध्यक्ष विपिन रावत ने कहा है कि सेना पर होने वाला खर्च देश पर बोझ नही है बल्कि इससे राष्ट्र निर्माण होता है।
सेना को कम बजट देने का असर मेक इन इंडिया पहल पर भी पड़ेगा, सेना ने जिन 25 प्रोजेक्ट्स को चुना है उनकी भी शरुआत नहीं हो सकी, इनमे से अधिकांश को बंद भी करना पड़ सकता है।
सेना के वाइस चीफ शरद चंद ने कहा कि ” पता नहीं आगे क्या होने वाला है चीन सीमा पर रणनीतिक रूप से सड़कों का निर्माण और इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास कर रहा है जिसके लिए हमने जो डिमांड की थी उसके मुक़ाबले  902 करोड़ कम फंड मिला है। ”
सेना के खुद कहने पर शायद यकीन हो जाए कि सरकार  देश की रक्षा के प्रति कितनी संवेदनशील है, उनको यह जानना चाहिए कि गाय सेवा करके ही पुण्य कमाने से देश दुश्मनों की गोलियों से नही बच पाएगा इसके लिए रक्षा के क्षेत्र को अधिक मज़बूत बनाना होगा। लेकिन इस बात से यह साफ जाहिर हो गया है कि सरकार का किसी भी मुद्दे पर कहने और करने वाले दो अलग अलग चेहरे है।