रघुराम राजन ने इंफोसिस का लिया पक्ष, सरकार को कहा देशद्रोही! 

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Nidhi Arya

रघुराम राजन ने इंफोसिस का लिया पक्ष, सरकार को कहा देशद्रोही!

पूर्व आरबीआई गवर्नर ने  मंगलवार को एनडीटीवी के प्रोग्राम में खास बातचीत के दौरान सरकार पर निशाना साधते हुए कुछ सवाल किए हैं? क्या कोविड-19 टीकाकरण के मोर्चे में सरकार के खराब प्रदर्शन को आप देशद्रोही मान सकते हैं?

टैक्स फाइलिंग वेबसाइट में आ रही गड़बड़ियों के करण इंफोसिस कंपनी पहले ही निजी कंपनियों और सरकार की नाराजगी का सामना कर चुकी है। रघुराम राजन  इंफोसिस समेत आईटी कंपनियों के बचाव में कहा सरकार ने भी अर्थव्यवस्था को पीछे धकेल दिया है।

क्या सरकार भी देशद्रोही-

कुछ दिन पहले भी r.s.s. से जुड़ी पत्रिका पांचजन्य ने आईटी कंपनी इंफोसिस पर जानबूझकर भारतीय अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने की कोशिश करने का आरोप लगाया था। पत्रिका ने यह आरोप जीएसटी और आयकर पोर्टल में खामियों को  बताते हुए कहा था कि ऊंची दुकान फीके पकवान।

हालांकि सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनी इंफोसिस पर आरएसएस द्वारा लगाए गए आरोप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने किनारा कर लिया है। आरएसएस ने पांचजन्य पत्रिका में छपे लेख से किनारा करते हुए कहा कि इस आर्टिकल से उनका कोई ताल्लुक नहीं है। ये एक लेखक के अपने निजी विचार हैं।

डॉ राजन ने भी एनडीटीवी के साथ बातचीत में उदाहरण के तौर पर समझाते हुए कहा कि जीएसटी को लागू किए जाने पर मुझे नहीं लगता की जीएसटी रोलआउट शानदार रहा है। मुझे यह पूरी तरीके से बेमतलब लगा। उनका मानना है कि इसे और भी बेहतर तरीके से किया जा सकता था। गलतियों से सीखने की बजाय इसे हमें अपने पूर्वाग्रह को दूर करने के लिए क्लब के रूप में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

क्या आप  सरकार के द्वारा कोरोना वायरस के दौरान बनाई गई नीतियों के विफल होने पर और प्रशासन कार्य योजना, आर्थिक अस्थिरता, टीकाकरण की प्रक्रिया सही ढंग से ना होना के लिए क्या आप प्रशासन पर राष्ट्र विरोधी होने का आरोप लगाएंगे?

अर्थव्यवस्था बुरे हाल में राजन

अर्थव्यवस्था के मुद्दे को उठाते हुए राजन ने इसमें बेहद सुधारों की मांग करते हुए कहा कि हमें भी दूसरे देशों की तरह अपने देश की छोटी से छोटी कंपनी से लेकर मध्यम कंपनियों को आगे आने का मौका देना चाहिए। तभी आर्थिक स्थिति में सुधार की अपेक्षा की जा सकती है।

छोटी कंपनियों और लिस्टेड कंपनियों की तुलना में औपचारिक फर्म विशेष रूप से मुनाफे में है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को जबरदस्ती औपचारिक रूप नहीं दिया जा सकता।

अर्थव्यवस्था के ऊपर चिंता जताते हुए रघुराम राजन कहते हैं कि हमारी देश की राज्य सरकारों की वित्त व्यवस्था बुरे हाल में है। ‘केंद्र में सेंट्रल सेस के जरिए राजस्व का एक बड़ा हिस्सा निगल लिया गया है’। आगे कहा कि “देश ने, न केवल केंद्र से बल्कि ‘केंद्र के भीतर वाले केंद्र’ से चलाया जा रहा है‌। प्रशासन का ऐसा अति केंद्रीयकरण हमें और हमारे देश की अर्थव्यवस्था को पीछे धकेलता जा रहा है।