ओवैसी “ओम” फॉर्मूला पर उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ेंगें।

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जब से ओवैसी ने ये ऐलान किया है कि उनकी पार्टी यूपी में 100 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। तब से लेकर अब तक लगातार ओवैसी के ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है। नए नए नेता पार्टी जॉइन कर रहे हैं खुद ओवैसी जहां जा रहे हैं वहां उनके समर्थकों की भीड़ बढ़ती जा रही है। इतना ही नहीं अब ओवैसी “भागीदारी संकल्प मोर्चा” में आ गए हैं जहां सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ उनका गठबंधन भी हो गया है।

लेकिन ओवैसी अपने ही ढंग से उत्तर प्रदेश की सियासत मे दखल दे रहे हैं। जिसमें वो 19 फीसदी मुस्लिम वोटों से अपील कर रहे हैं कि वो एकजुट हो जाएं। क्योंकि अगर इस तादाद में और इसी तरह उन्हें वोट मिल गया तो ओवैसी “किंगमेकर” कहलायेंगे, हालांकि ये होना किसी चमत्कार से कम नही है।

इस चमत्कार को ज़मीन पर उतारने के लिए ही ओवैसी “ओम” फॉर्मूला पर काम कर रहे हैं। क्या है ये “ओम” फॉर्मूला? आइये जानते हैं, ये फार्मूला इंग्लिश के OAM जो जोड़ कर बनाया गया है। यानी कि O से ओवैसी, A से अतीक़ अहमद और M से मुख़्तार। इन तीनो नामों को जोड़ कर ही ओवैसी अपनी पार्टी को बुलन्दी पर पहुंचाना चाह रहे हैं।

कौन है अतीक़ अहमद,जो ओवैसी की पार्टी में शामिल हो चुके हैं।

अतीक़ अहमद फूलपुर लोकसभा से 2004 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर सांसद चुने गए थे। इसके अलावा 1989 से 2003 तक इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा से विधायक रह चुके अतीक़ की चर्चा आज भी खूब की जाती है। क्योंकि उस पर बहुत से मुकदमे चल रहे हैं।जिसमें से एक विधायक राजू पाल की हत्या का मुकदमा है।

हालांकि किसी भी मुकदमे में वो सज़ायाफ्ता नही है। लेकिन अतीक़ को पूर्वांचल में “बाहुबली” का तमगा मिला हुआ है। जो किडनैपिंग जैसे आरोपों से घिरा हुआ है।2014 में समाजवादी पार्टी ने अतीक़ अहमद को श्रावस्ती लोकसभा से उम्मीदवार बनाया था और 2017 में कानपुर से विधानसभा प्रत्याशी।

लेकर अखिलेश ने इस पर अतीक़ के पर कतरते हुए उसे पार्टी से निकाल दिया। अब ओवैसी की पार्टी में जेल से ही शामिल होते हुए फिर से ये चर्चाएं हैं कि अतीक़ अहमद ही या उनके परिवार के किसी को शख्स को ओवैसी अपनी पार्टी से उम्मीदवार बना सकते हैं।

मुख्तार पर डोरे डाल रहे हैं ओवैसी के नेता।

जब से मायावती ने ये ट्वीट किया है कि माफिया या बाहुबलियों को वो टिकट नहीं देंगी तभी से मुख्तार एक बार फिर चर्चा में है। क्योंकि जिस सीट से वो 25 सालों से विधायक है वहां से बसपा ने अपने प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को उम्मीदवार बनाया दिया है। बस इसी घटनाक्रम में ओवैसी की पार्टी भी कूद गई है।

एमआईआईएम के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने कहा है कि “हम चाहते हैं कि मुख्तार अंसारी विधानसभा में पहुंचें और गरीबों और मज़लूमों की आवाज़ उठाये। इसके लिए उत्तर प्रदेश की किसी भो सीट से हम लोग मुख्तार अंसारी साहब को अपना उम्मीदवार बनाने के लिए तैयार हैं।

मुख्तार अंसारी की गिनती भी यूपी के टॉप “बाहुबलियों” में होती है जो 25 सालों से लगातार विधायक है। जिसमें से 3 चुनाव वो जेल से लड़ कर जीता है। ओवैसी की पार्टी इस मौके ही को भुनाना चाहती है और मुख्तार के नाम पर खुद को मजबूत करना चाहती है।