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मध्यप्रदेश में यूं सामने आया भावंतर योजना का बड़ा घोटाला

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लगता है मध्यप्रदेश की पहचान हर विभाग में भ्रष्टाचार करने वाले राज्य की बनती जा रही है, व्यापम जैसे बड़े घोटाले के लिए बदनाम मध्यप्रदेश में आये दिन कोई न कोई घोटाला सामने आता रहता है. ताज़ा मामला भावान्तर योजना में हुए फर्जीवाड़े का है.
शाजापुर जिले में मुख्यमंत्री भावांतर भुगतान योजना मे बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है. यह फर्जीवाड़ा देश-विदेश में प्याज व लहसुन की आवक के लिए मशहूर और तहसील शुजालपुर की मंडी में किया गया है. बताया जा रहा है कि दो लाख की लहसुन की कट्टी की फर्जी खरीदी दिखाकर लगभग आठ करोड़ का फर्जीवाड़ा किया जा रहा था, लेकिन समय रहते इस खेल का पर्दाफाश हो गया.
इस मामले में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने दस मंडी कर्मचारियों और तीस व्यापरियों सहित कुल 40 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. गनिमत रही कि भावांतर के लिए दस्तावेज ऑनलाइन अपडेट होने के पहले ही मामला पकड़ में आ गया. बता दे कि यह मुख्यमंत्री भावंतर भुगतान योजना घोटाले में प्रदेश की पहली एफआईआर है.
जांच होने पर और भी मामले सामने आ सकते हैं, क्योंकि इस योजना के तहत सरकार किसानों के खाते में पैसा डालती है. बताया जाता है, कि इस योजना में बड़े स्तर में फर्जीवाड़ा हुआ है.
मामले के खुलासे के बाद प्राथमिक जांच में भूमिका मिलने पर कृषि उपज मंडी के 4 जिम्मेदार कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया था. ठेका पद्धति पर काम करने वाले 6 अस्थायी सुरक्षाकर्मियों को भी कार्य से विरक्त करने की कार्रवाई की गई थी. घपलेबाजी में प्रमुख संलिप्तता सामने आने पर 30 व्यापारिक फर्मों पर घोष विक्रय में भाग लेने पर प्रतिबंध लगा दिया था.
ये पूरा खेल मंडी कर्मचारियों औऱ व्यापारियों द्वारा खेला गया है, जिसमे  किसानों को २०० से २५० की रिश्वत देकर भावान्तर से लाभ कमाने की कोशिश की जा रही थी. इस बात का खुलासा तब हुआ जब सब्जी मंडी प्रांगण में 12 अप्रैल से 31 मई के बीच लहसुन-प्याज की खरीदी भावंतर योजना के तहत की जा रही थी.  तभी मिली भगत कर करीब 2 लाख कट्टी लहसुन की फर्जी खरीदी-बिक्री दिखाई गई. इतना ही नही योजना में लहसुन किसी भी भाव बिकने पर किसानों को उनके खाते में सरकार से 8 रुपये प्रति किलो यानी 800 प्रति क्विंटल की राशि का प्रोत्साहन दिया जाना तय था. इसी का भी फायदा उठाने की कोशिश की गई.
अधिकारियों को बात पता चलते ही पुलिस ने जांच की तो फर्जीवाडा पाया गया . जांच में ये भी सामने आया है कि जिस किसान की अनुबंध पर्ची व भुगतान पर्ची जारी की गई. उनका मंडी प्रांगण में प्रवेश का रजिस्टर में उल्लेख ही नहीं है. फिलहाल पुलिस ने  दोषी व्यापारियों और कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है. इस लोगों के खिलाफ अब  विभागीय जांच जारी है.