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मोदी के मज़बूत किले में हार्दिक ने लगाईं सेंध

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जैसे-जैसे गुजरात चुनाव की तारीख नज़दीक आ रही है, वैसे –वैसे पूरे देश में इस विषय को लेकर एक उत्सुकता का माहौल बनता जा रहा है. हर तरफ एक चर्चा आम है, कि क्या भाजपा अपना गढ़ बचा पाएगी. पर जैसे –जैसे मतदान का समय आता जा रहा है, भाजपा के लिए मुशिलें बढ़ती जा रही हैं. पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभाओं में कम होती भीड़ से चिंतित भाजपा के लिए परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं.

ताज़ा परेशानी सोशलमीडिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गिरता ग्राफ़ है. उन्हें पीछे छोड़ने वाला कोई और नहीं, बल्कि गुजरात में भाजपा के लिए चुनौती बन चुकी युवा तिकड़ी हार्दिक, जिग्नेश और अल्पेश ही है. हम बात कर रहे हैं, गुजरात में होने वाली सभाओं के फ़ेसबुक लाईव की. जहां एक तरफ नरेंद्र मोदी की गुजरात में जनसभा तो दूसरी तरफ हार्दिक पटेल की.

सोशलमीडिया में मोदी पर भारी पड़ रहे हार्दिक

दोनों के फेसबुक लाइव का लेखा जोखा देखने पर यह साफ़ हो जाता है, कि किसी समय नरेंद्र मोदी जिस सोशलमीडिया के एकक्षत्र राजा हुआ करते थे, अब वहाँ भी उनका शासन डांवाडोल होता नज़र आ रहा है.
पत्रकार मोहम्मद अनस ने अपनी फ़ेसबुक वाल पर, पीएम मोदी और हार्दिक पटेल की सभाओं के लाईव का स्क्रीनशॉट और आंकड़े पोस्ट किये हैं, वो लिखते हैं-
ये रहा दोनों के फ़ेसबुक लाईव का लेखा-जोखा
मोदी कल सुबह 11:24 पर लाइव आते हैं और हार्दिक पटेल कल शाम 6:14 पर.

पत्रकार मोहम्मद अनस की वाल से लिए गए स्क्रीनशॉट को एडिट करके Team TH ने यह पोस्टर बनाया है, जिसमे पीएम मोदी और हार्दिक पटेल की लोकप्रियता में भारी अंतर देखा जा सकता है

हार्दिक पटेल के लाइव वीडियो को 75.5 हजार लाइक, 90.2 हजार कमेंट और 27.8 हजार शेयर आते हैं वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाइव वीडियो को 37.5 हजार लाइक, 5.9 हजार कमेंट और 1.9 हजार शेयर आते हैं. भाजपा सोशल मीडिया पर गुजरात चुनाव हार चुकी है. मोदी की ज़ुबान तथा बयान से आप सब इस हार को महसूस कर सकते हैं.

ज्ञात होकि यह पहली बार नहीं है, जब-जब भाजपा ने सोशलमीडिया में कोई पोस्टर या वीडियो जारी किया है, विरोधी उसका भरपूर जवाब देते नज़र आये हैं. सांप्रदायिक राजनीति के लिए राम और हज वाले पोस्टर का जवाब हो, या फिर हार्दिक से संबंधित सीडी के जवाब में पाटीदार समुदाय के द्वारा लांच की गई सीडी हो. भाजपा के सभी पैंतरों का जवाब हार्दिक के तरफ से दिया गया है.
भाजपा को उसी के अंदाज़ में पटखनी देने के मामले में, सिर्फ हार्दिक नहीं. बल्कि जिगनेश और कांग्रेस भी पीछे नहीं हैं. बल्कि इस बार गुजरात चुनाव में कांग्रेस शुरू से ही हावी रही है. राहुल गांधी के ट्वीट जहाँ चर्चा के विषय बने रहे, तो वहीँ एक सभा में उनके द्वारा भाजपा के बाईस साल और पीएम मोदी की कार्यशैली पर किया गया कटाक्ष – “विकास पागल हो गया है”, लोगों की जुबां पर चढ़ गया है. अब देखना ये है, कि गुजरात चुनाव में ऊंट किस करवट बैठेगा. क्या सोशलमीडिया में मज़दूत दिख रही कांग्रेस और हार्दिक भाजपा को इस बार सत्ता से बाहर करने में कामयाब हो पायेंगे ?

क्या ये हार्दिक पटेल की सीडी का असर है ?

एक सवाल और चुनावी गलियारों में चर्चा का विषय है, कि हार्दिक पटेल की लोकप्रियता में उछाल और पीएम मोदी की लोकप्रियता में ये भारी गिरावट. कहीं उस सेक्स सीडी का नतीजा तो नहीं, जिसके आने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं में एक उमंग देखी गई थी, उन्हें लगा था कि शायद अब हार्दिक पटेल की उलटी गिनती शुरू हो जायेगी. पर कुछ राजनीतिक पंडितों ने ये अनुमान लगाना शुरू कर दिया था. कि “हो सकता है, कि यह सीडी भाजपा को बैकफायर कर जाए”. और हार्दिक पटेल के साथ समाज की सहानुभूति जुड़ जाए. फ़िलहाल ये अनुमान सही होता नज़र आ रहा है. हार्दिक पटेल की लोकप्रियता में जिस तरह से इज़ाफा हुआ है. उससे तो ऐसा लगता है, कि वो भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए सबसे बड़ा सर का दर्द बन चुके हैं.

हार्दिक पटेल निभा रहे हैं बड़ी भूमिका

हार्दिक पटेल फ़िलहाल एक बड़ी भूमिका निभाते नज़र आ रहे हैं, आज लेऊआ पटेलों के सर्वमान्य नेता रमेश पटेल से हुई उनकी मुलाक़ात के बाद भाजपा नेताओं के माथे पर पसीना आता नज़र आ रहा है. ज्ञात होकि कि हार्दिक कड़वा पटेलों के नेता हैं, तो रमेश पटेल लेऊआ पटेलों का नेतृत्व करते हैं. लेऊआ पटेल गुजरात की 54 सीटों पर असर डालते हैं.
पिछले लोकसभा चुनाव में रमेश पटेल ने मोदी के पक्ष में वोट की अपील की थी. पर फ़िलहाल कहानी बदली-बदली सी नज़र आ रही है. क्योंकि रमेश पटेल से जहाँ एक बार राहुल गांधी मुलाक़ात कर चुके हैं. वहीं अब हार्दिक की मुलाक़ात से भाजपा के माथे पर पसीना आ गया है. ऐसे में ये माना जा रहा है, कि यदि लेउआ और कड़वा पटेल दोनों एक होकर भाजपा के विरोध में वोट डालते हैं, तो गुजरात भाजपा के लिए दूर की कौड़ी साबित हो सकता है. अर्थात फिर भाजपा की जीत की कोई संभावना बाकी नहीं रह जाती हैं.