राफ़ेल पर मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से बोला ये झूठ

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14 दिसंबर 2018 की सुबह राफेल मामले पर सुप्रीम कोर्ट का बहुप्रतीक्षित फैसला आ गया शाम तक यह भी साफ हो गया कि यह फैसला किस आधार पर लिया गया,………फैसले में कहा गया कि राफेल की कीमत से जुड़ी जानकारियां भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) से साझा की गई थीं, जिसने बाद में लोक लेखा समिति (PAC) को अपनी रिपोर्ट सौंपी ओर उसी को सरकार द्वारा हमे सौपा गया.
लेकिन कल शाम राहुल गांधी ने इस फैसले की बुनियाद को ही हिला दिया जब प्रेसकांफ्रेन्स में पीएससी चेयरमैन मल्लिकार्जुन खड़गे को उन्होंने माइक थमाया, खड़गे ने स्पष्ट कहा कि उनके पास ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं आई है और “सीएजी को भी इस बारे में पता नहीं है।”
दरअसल कोर्ट ने फैसले के पेज न. 22 पर कहा है कि उसने कीमतों, बढ़े खर्च और ”आइटम के अनुसार लागत” पर नोट की ”बारीकी से” जांच की है, राहुल गांधी कह रहे हैं कि फैसले का यही ‘आधार’ है तो बिल्कुल झूठा आधार है.
चलिए एक बार मान लेते हैं कि राहुल गांधी झूठ बोल रहे हैं खड़गे भी झूठ बोल रहे हैं लेकिन क्या 60 सेवानिवृत्त अधिकारी भी झूठ बोल रहे हैं? कुछ दिनों पहले खबर आई थी कि साठ सेवानिवृत्त अधिकारियों ने कैग को पत्र लिखकर उसपर नोटबंदी और राफेल सौदे पर ऑडिट रिपोर्ट को जानबूझ कर टालने का आरोप लगाया है ताकि अगले साल चुनाव से पहले राजग सरकार की किरकिरी नहीं हो इन अधिकारियों में पंजाब के पूर्व डीजीपी जूलियो रिबेरो, पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी से सोशल एक्टिविस्ट बनीं अरुणा रॉय, पुणे के पूर्व पुलिस आयुक्त मीरन बोरवंकर, प्रसार भारती के पूर्व सीईओ जवाहर सरकार, इटली में पूर्व दूत के पी फेबियन समेत अन्य पूर्व अधिकारी शामिल हैं.
पूर्व अधिकारियों ने एक पत्र में कहा है कि नोटबंदी और राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर ऑडिट रिपोर्ट लाने में अस्वाभाविक और अकारण देरी पर चिंता पैदा हो रही है और रिपोर्ट संसद के शीत सत्र में पटल पर रखी जानी चाहिए। पत्र में कहा गया है कि समय पर नोटबंदी और राफेल सौदे को लेकर ऑडिट रिपोर्ट जारी करने में देरी को पक्षपातपूर्ण कदम कहा जाएगा और इससे संस्थान की साख पर संकट पैदा हो सकता है पत्र में दावा किया गया था कि ऐसी खबरें थीं कि राफेल सौदे पर ऑडिट सितंबर 2018 तक हो जाएगा लेकिन संबंधित फाइलों का कैग ने अब तक परीक्षण नहीं किया है.
अब यदि खड़गे साहब को कोई रिपोर्ट नही मिली इन टॉप ब्यूरोक्रेट्स को कोई रिपोर्ट नही मिली तो सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कौन सी रिपोर्ट पेश की जिसके आधार पर राफेल मामले में झूठी क्लीन चिट मिलने का दावा पेश किया जा रहा है?