फोर्ब्स की सौ शाक्तिशाली महिलाओं की सूची में शामिल मायावती

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बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता मायावती पिछले 20 सालों में एक सशक्त महिला राजनेता के रूप में उभर कर सामने आई है। चार बार उत्तर प्रदेश की बागडोर संभालने वाली मायावती ने बहुजनों और अनुसूचित जनजातियों के लिए कई सारे काम किए हैं और उनके बीच सबसे लोकप्रिय राजनेता रही हैं।

28 अगस्त 2008 को विश्व की सुप्रसिद्ध पत्रिका फोर्ब्स ने मायावती को विश्व की टॉप 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की लिस्ट में शामिल किया था। मायावती के नाम के आगे ‘भारत की पहली’ वाक्य को भी जोड़ा जाता है।

मायावती का जीवन परिचय

15 जनवरी 1956 को नई दिल्ली के एक मध्यम वर्गीय परिवार में मायावती का जन्म हुआ था। पिता का नाम प्रभु दयाल था और माता का नाम रामरति था। पिता पेशे से एक डाकघर में कर्मचारी थे। मायावती के कुल 6 भाई और 2 बहनें हैं। उन्होंने 1975 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के कालिंदी कॉलेज से आर्ट्स विषय में अपना स्नातक खत्म किया। आगे एलएलबी की पढ़ाई 1983 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से ही पूरी की। मायावती आईएएस बनना चाहती थी और उन्होंने इसकी तैयारी भी की थी। मगर कांशीराम के संपर्क में आने के बाद उन्होंने राजनीति की राह पर जाने का फैसला किया।

शिक्षिका से राजनायिका तक का सफर

राजनीति में आने से पहले आईएएस की तैयारी करते वक्त वह दिल्ली के एक स्कूल में  बतौर शिक्षिका का किया। उसी साल वह कांशीराम द्वारा बनाई गई बहुजन समाज पार्टी में बतौर पूर्णकालिक सदस्य शामिल हुई। पार्टी में 5 साल कड़ी मेहनत करने के बाद 1989 में वह पहली बार बिजनौर लोकसभा सीट से सांसद चुनी गई।

इसके बाद भी उन्होंने पार्टी के प्रति अपनी कड़ी मेहनत जारी रखी और 1995 में वह ‘भारत की पहली’ बहुजन महिला बनी जो उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के पद पर कार्यरत हुई। मगर यह कार्यकाल उनका ज्यादा दिन नहीं चल सका और 1996 से 1998 तक को विधायक रही।

21 मार्च 1997 में वह दूसरी बार यूपी की मुख्यमंत्री बनी और इस बार उन्होंने यह कार्यकाल पूरा किया। इसके बाद तीसरी बार वह 3 मार्च 2002 को मुख्यमंत्री चुनी गई। पर कार्यकाल पहले कार्यकाल की तरह छोटा ही रहा और 26 अगस्त 2002 तक ही चला।

इस बीच 2001 में बसपा के संस्थापक कांशीराम ने मायावती को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। 2007  में वह आखिरी बार मुख्यमंत्री के पद पर विराजमान हुई। उनका यह कार्यकाल 2012 में खत्म हुआ, जिसके बाद वह अब तक मुख्यमंत्री नहीं चुनी गई है।

ताज हेरिटेज कॉरिडोर मामले दर्ज हुआ था केस

साल 2002 में मायावती की बसपा और भाजपा की गठबंधन सरकार ने उत्तर प्रदेश में ताज हेरिटेज कॉरिडोर प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। मगर जल्द ही इसमें बहुत बड़ा घोटाला सामने आया। इसके कारण मायावती के घर पर सीबीआई की छापेमारी भी हुई थी। सीबीआई ने उनके ऊपर आय से ज्यादा संपत्ति रखने का मामला भी दर्ज किया था।

मगर 2007 में तात्कालिक राज्यपाल टीवी राजेश्वर ने कहा था कि, “इस मामले से जुड़े कोई भी ठोस सबूत नहीं है।” दिल्ली हाई कोर्ट ने 2011 में मायावती के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया। इसके बाद 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में दायर याचिका को खारिज कर दिया था। आखिरकार 2013 में सीबीआई ने उनकी फाइल क्लोज कर दी थी।

2022 चुनाव के लिए है काफी सक्रिय

2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ी हुई है। कौन किसका हाथ थामेगा और कौन अकेला ही मैदान में उतरेगा, यह अभी तक पूरी तरह से साफ नहीं है।

इस चुनाव को लेकर मायावती भी पूरी तरह से सक्रिय नजर आ रही है। वह आए दिन चुनाव को लेकर प्रचार कर रही हैं। वह लगातार आम जनसभाएं कर रही हैं। हाल ही में हुए अपने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने यह साफ कर दिया कि, “अभी मैं काफी हूं अकेले चुनाव लड़ने के लिए। मेरे किसी भी उत्तराधिकारी का अभी सवाल ही नहीं उठता है।”

कुछ दिन पहले ओपी राजभर के पिछड़ी जनजातियों की जनगणना कराने की मांग पर मायावती ने भी अपना समर्थन दिया था। उन्होंने शुरू से ही पिछड़ी जनजातियों को वरीयता दी है। इस चुनाव में भी वह इन्हीं पिछड़ी जातियों को साथ लेकर चल रही है।