शिक्षा की कमी और गरीबी ने बनाया पहाड़ी इलाकों में जीवन बसर करना मुश्किल

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  • कई सरकारी योजनाओं से आज भी पहाड़ी लोग है वंचित
  • शिक्षा की कमी ने प्रभावित कर दिया है सामाजिक परिवेश

पहाड़ी इलाकों के बारे में सोच कर ही एक अजीब सी खुशाली आ जाती है सभी के चेहरों पर। उत्तराखंड, दार्जलिंग, हिमाचल जैसे इलाकों की वादियां बाहें खोल कर सभी का स्वागत करती है। ये सभी भारतीय पर्यटन का एक मुख्य केंद्र भी है। मगर जितने सुंदर और मनोहर ये सभी दूर से नजर आते है, यहां रहने वालों की जिंदगी उतनी ही चुनौतीपूर्ण और कष्टदाई है।

मनोहर वादियों में छिपी सामाजिक त्रुटियां

उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के रिठुला गांव में रहने वालों की जिंदगी को करीब से देखने पर सिर्फ अफसोस होता है। इस इलाके में भारी मात्रा में उपजाई गई कीवी और आलू की पूरे देश विदेश में भारी मांग है। मगर यहां पर शिक्षा की कमी और गरीबी ने लोगों को बाकी दुनिया से बहुत ज्यादा पिछड़ा हुआ बना दिया है।रिठुला गांव से आई एक वीडियो में नजर आया कि यहां की महिलाएं खेतों में हल जोत रही है। जो काम बैल या भैंस का होता है, वो महिलाएं करने को मजबूर है। यहां परिवार इतने गरीब है की बैल या भैंस को पालने तक का खर्चा नहीं उठा सकते है।

कृषि विभाग द्वारा दिया जाता है हर साल अनुदान – डीडी पंत

पूरे मामले को जब जिले के मुख्य विकास अधिकारी डीडी पंत के संज्ञान में लाया गया तो उनका कहना था कि,” यहां के लोग गरीबी के कारण भैंस या बैल पालना अफोर्ड नहीं कर सकते है। इसलिए ऐसे क्षेत्रों में कृषि विभाग द्वारा हर साल अनुदान के रूप में पावर वीडर दिया जाता है।”

निम्न शिक्षा के कारण नहीं कर पाते है पावर वीडर का उपयोग – शीतल रौतेला

रिठुला गांव की प्रधान शीतल रौतेला ने बताया, “यहां के लोग बहुत कम शिक्षित है, जिसके कारण उन्हें सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं मिल पाता है। कृषि विभाग द्वारा दिया गया पावर वीडर लोगों को उपयोग करने में असहज लगता है, इसलिए वे खुद अपने शारीरिक बल का उपयोग करते है।”

पहाड़ी इलाकों में महिलाओं को होती है खास समस्या

बागेश्वर जिले की ही तरह ऐसे कई जिले और गांव है, जो पहाड़ी क्षेत्रों में बसे है। यहां की महिलाओं को सबसे अधिक समस्या का सामना करना पड़ता है।

जैसे रिठुला गांव में हल जोतने के लिए महिलाएं ही मजबूर है, यह पुरुष नहीं करते है।

जागरूकता के अभाव में महिलाओं को उनके मंथली पीरियड्स में कई बातें सुननी पड़ती है और साथ ही अनादर सहना पड़ता है। सभी पहाड़ी गांव की महिलाओं को इसका सामना हर महीने, हर बार करना पड़ता है।

प्रयागराज के बार जिले के पहाड़ी इलाकों में पानी की समस्या आम है। यहां ऊंचाई के कारण हैंडपंप अक्सर सुख जाते है। इससे पेयजल आपूर्ति नहीं हो पाती है।

योजनाओं से अधिक शिक्षा की ओर ध्यान देने की जरूरत

केंद्र सरकार और सभी पहाड़ी इलाकों की राज्य सरकारों को नई नई योजनाओं को लाने से पहले लोगों की शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए। अगर लोग योजना का उपयोग करना ही नहीं जानेंगे तो उसे लाकर न सरकार को कोई फायदा होगा, न ही लोगों को

साथ में लोगों को जागरूक करना भी अत्यंत आवश्यक है। जितने अधिक लोग जागरूक होंगे, सामाजिक त्रुटियां खत्म होती नजर आएगी।