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क्या ट्रम्प ने मध्यपूर्व को फिर से सुलगा दिया है ?

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2016 में अपने चुनाव अभियान के दौरान  किया हुवा वादा पुरा किया, यरुशलम को इस्राइल की राजधानी के तौर पर मान्यता दे कर . परन्तु  कई अरब देशों के नेताओं ने ट्रंप प्रशासन के इस फैसले से पहले से ही संवदेनशील पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने की चेतावनी दी है.

फाइल फोटो


ट्रंप ने कहा कि अमेरिकी सरकार यरुशलम को इस्राइल की राजधानी के तौर पर मान्यता देती है. अमेरिका इसे ऐतिहासिक वास्तविकता को पहचान देने के तौर पर देखता है. ट्रंप प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियो ने कहा कि यरुशलम प्राचीन काल से यहूदी लोगों की राजधानी रहा है और आज की वास्तविकता यह है कि यह शहर सरकार, महत्वपूर्ण मंत्रालयों, इसकी विधायिका, सुप्रीम कोर्ट का केंद्र है.’ एक दूसरे वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह कदम उठाने के साथ ट्रंप ने अपना एक प्रमुख चुनावी वादा पूरा किया है. पूर्व में राष्ट्रपति चुनाव के कई उम्मीदवार यह वादा कर चुके हैं.  ट्रंप ने तेल अवीव से अमेरिकी दूतावास को यरुशलम स्थानांतरित करने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए विदेश मंत्रालय को आदेश भी दिया. हालांकि अधिकारी ने कहा कि इस कदम से इस्राइल-फलीस्तीन के द्विराष्ट्र संबंधी समाधान पर असर पड़ने की संभावना नहीं है.
ज्ञात रहे, इजराइल और फलस्तीन के बीच विवाद में यरुशलम का दर्जा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. ये दोनों यरुशलम को अपनी राजधानी बताते हैं.
फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने अपने अमेरिकी समकक्ष डोनाल्ड ट्रंप से बात कर यरुशलम को इजराइल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के उनके फैसले पर चिंता जताई. दोनों नेताओं के बीच फोन कॉल की जानकारी देने वाले वक्तव्य में कहा गया, ‘‘ यरुशलम को इजराइल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने को लेकर अमेरिका के समर्थन की संभावना पर फ्रांस के राष्ट्रपति ने चिंता जताई. ’’ इसमें कहा गया कि ऐसा कोई भी फैसला इजराइल और फलस्तीन के बीच बातचीत के तय पैमाने के भीतर होना चाहिए.
अरब नेताओं ने भी चेताया कि इस फैसले से पश्चिम एशिया और दूसरी जगहों पर व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हो सकते हैं. ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने ट्रंप की योजना की आलोचना करते हुए कहा कि यह गलत, अवैध, भड़काऊ और बेहद खतरनाक है. जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय ने कहा कि यरूशलम पूरे पश्चिम एशिया की स्थिरता के लिहाज से महत्वपूर्ण है.
फलस्तीन के राष्ट्रपति कार्यालय ने एएफपी को शुक्रवार को कहा था कि अमेरिका के इस कदम को गलत बताया और कहा कि,  इससे शांति प्रक्रिया तबाह हो जाएगी.