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क्या राजस्थान में भाजपा के खिलाफ़ माहौल बन रहा है ?

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राजस्थान में भाजपा के कब्जे वाली दो लोकसभा अजमेर और अलवर व एक विधानसभा सीट बुरी तरह से हार गई. इन तीनों क्षेत्रों में आने वाली कुल 17 विधानसभा सीटों में से एक भी सीट पर भाजपा पिछले चुनाव की तरह बढ़त बरकरार नहीं रख पाई.
वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव व 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इन्हीं सीटों को भारी अंतर से कांग्रेस के पछाड़ कर  जीता था. चार साल में ही भाजपा के खिलाफ एंटीइनकमबेंसी इतनी बढ़ गई कि सारे समीकरण उल्टे हो गए.
सभी विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस को मिली बढ़त बताती है कि स्थानीय स्तर पर भाजपा के मंत्री व नेताओं के प्रति आमजन में किस तरह की नाराजगी है, यह परिणामों में नजर भी आया.
अलवर सीट पर 2014 में भाजपा के महंत चांदनाथ ने कांग्रेस के भंवर जितेंद्र सिंह को दो लाख 83 हजार वोटों के रिकॉर्ड अंतर से हराया.  वहीं अजमेर लोकसभा में भाजपा के सांवरलाल जाट ने सचिन पायलट को और मांडलगढ़ विधानसभा में भाजपा की कीर्ति कुमारी ने विवेक धाकड़ को हराया थ. अब अजमेर में भाजपा 84414 और अलवर में 196496 वोटों से हार गई.

अजमेर से नव निर्वाचित सांसद रघु शर्मा ने जीत के बाद कहा कि-

“प्रदेश की भाजपा सरकार व उसके मंत्री व विधायक जिस तरह घमंड में चूर थे, उनके इस घमंड को जनता ने चकनाचूर कर दिया और आम जन सरकार के रवैये और नेताओं की मनमानी से पूरी तरह त्रस्त था.  अजमेर की जनता ने कांग्रेस में जो विश्वास व्यक्त किया है उस पर खरे उतरेंगे और अजमेर की समस्याओं के निराकरण व विकास के लिए संसद में आवाज उठाई जाएगी”

वही, लोकसभा उपचुनाव हारने के बाद भाजपा प्रत्याशी डॉ.जसवंत यादव ने कहा कि, “टिकट घोषणा में देरी होने से उन्हें नुकसान हुआ. टिकट मिलने में 20 दिन देर होने के कारण उन्हें लोगों तक पहुंचने का कम समय मिला.”
डॉ.यादव ने आगे कहा कि, “सरकार के खिलाफ कोई एंटीइनकंबेंसी नहीं है, कांग्रेस का परंपरागत वोट उसकी तरफ शिफ्ट हो गया. मेव, एससी एवं एसटी मतदाताओं के बहुत कम वोट मुझे मिले. इस कारण मैं चुनाव हार गया. शेष सभी जातियों से मुझे भरपूर वोट मिले और वे बोले कांग्रेस ने जन भावनाओं को भड़का कर वोट लिया. मैं  भाजपा के लिए हमेशा कार्य करता रहूंगा.