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किसान क्यों फ़ेक रहा है "आलू" ?

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आलू को सब्जियों का राजा कहा जाता है. इस आलू को पैदा करने वाले किसान परेशान हैं. उन्हें खेत में ही आलू फेंकना पड़ रहा है.
आलू की लागत तक नहीं निकल पा रही है. कोल्ड स्टोरेज में भी करीब 50 लाख बोरी आलू रखा हुआ है, जो फेंका जा रहा है.
यूपी में आलू के किसान सिर्फ 20 रुपये का बोरा बचाने के लिए आलू सड़कों पर फेंकने को मजबूर हैं. इसकी वजह है आलू का सही दाम न मिल पाना.
आप भले ही आलू को 10 रुपये किलो खरीदकर ला रहे हों लेकिन ये किसान 50 किलो आलू को सिर्फ इसलिए फेंक रहे हैं ताकि वे 20 रुपये का बोरा बचा सकें.
यानि इस आलू को कोई 50 पैसे किलो भी लेने को तैयार नहीं है. ऐसे में किसानों के पास एक ही विकल्प है कि वे आलू फेंककर 20 रुपये का बोरा बचा लें.
बाजार में नए आलू की कीमत 250 रु प्रति कट्टा (50 किलो) है. अगर किसान को एक कट्टे का भाव 400 रुपये के हिसाब से मिले तब जाकर किसान को आलू की लागत मिल पाएगी.
नए आलू की आवक के कारण लोग पुराना नहीं खरीद रहे. ऐसे में इस आलू को खेतों या बाहर मैदानों में फेंका जा रहा है.
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश में आलू उगाने वाले किसानों को बुरी तरह अपनी फसल को लेकर मंदी की मार का सामना करना पड़ रहा है. आगरा के कोल्ड स्टोरेज में अभी भी करीब 20 लाख बोरी से ज्यादा आलू रखा हुआ है. जिनको किसान उठाने से हिचकिचा रहे हैं.
मंडी में आलू के जानकारों के मुताबिक आलू रखने का सामान्य किराया 115 रुपये प्रति बोरी के हिसाब से लिया जाता है. लेकिन जब किसान अपनी आलू की फसल पर कोल्ड स्टोरेज से लोन लेता है तो किराया 250 से 300 रुपये तक पहुंच जाता है.
इस वजह से बाजार में घाटा होने पर किसान के सामने दोहरी समस्या मुंह बाय खड़ी हो जाती है की नया आलू को कहां रखें.