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नज़रिया – कौन है कश्मीर में नाक़ामी का ज़िम्मेदार, पीडीपी या भाजपा?

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भाजपा का पुराना इतिहास है, गठबंधन करके राज्यों में सरकार बनाना फिर अपने ही गठबंधन सहयोगी पर सारी नाकामी का ठीकरा फोड़कर खुद को साफ़ सुथरा साबित करना. कश्मीर के जितने बुरे हाल भाजपा और पीडीपी के गठबंधन वाली सरकार में हुए, शायद ही इतिहास में कभी इतनी आतंकवादी घटनाएं और कश्मीरियों के अन्दर असंतोष की स्थिति पैदा हुई हो.
फ़िलहाल भाजपा देश भर में अपनी बिगडती छवि को सुधारने और दूर होता हिन्दुत्ववादी वोट समेटने की कोशिश में है. खैर जम्मू कश्मीर की सरकार अब गिर चुकी है, महबूबा मुफ़्ती का इस्तीफा भी हो चुका है. देखना ये है, कि क्या भाजपा का यह दांव आने वाले चुनावों में चल पायेगा कि नहीं.
फिलहाल इस इस्तीफे के बाद भाजपा का अगला दांव राज्य में राज्यपाल शासन लगाने का होगा, क्योंकि राम माधव का बयान इस बात को दर्शाता है. कि भाजपा जम्मू एवं कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाना चाहती है, ताकि राज्य का नियंत्रण और सत्ता सीधे भाजपा के हाथों में आ जाये. यही वजह है, कि भाजपा महासचिव राम माधव ने कश्मीर में राज्यपाल शासन की मांग की है.
फ़िलहाल कश्मीर की जो दलीय स्थिति है, उसके अनुसार नेशनल कांफ्रेस, पीडीपी और कांग्रेस चाहें तो मिलकर सरकार बना सकते हैं. पर गुलाम नबी आज़ाद ने अपने बयान से साफ़ कर दिया है, कि कांग्रेस किसी तरह से सरकार बनाने के मूँड में नहीं है. अब देखना ये है, कि क्या स्थिति बनती है.
फ़िलहाल बीजेपी और पीडीपी के शासन के दौरान जम्मू एव्वं कश्मीर में जनता के अन्दर जो असंतोष भड़का है, कांग्रेस इसके लिए भाजपा और पीडीपी , दोनों पर ही हमलावर है.
राम माधव ने अपने बयान में जिस तरह से जम्मू और कश्मीर दोनों ही क्षेत्रों में पक्षपात की बात कही है, इससे भाजपा की रणनीति को साफ़ समझा जा सकता है. कि भाजपा अब जम्मू क्षेत्र और कश्मीर क्षेत्र में ध्रुवीकरण की राजनीति खेलना चाहती है. ताकि जम्मू क्षेत्र में और अधिक सीटें जीत सके.
ऐसा भी हो सकता है, कि आतंकवाद और अन्य मुद्दों पर घिरने की बाद भाजपा इस क़दम के ज़रिये अपने हिंदूवादी वोटर्स को खुश करना चाह रही हो. या फिर रमजान में नरेंद्र मोदी और भाजपा नेताओं व संघ द्वारा दी गई इफ़्तार पार्टियों और मुस्लिमों की करीब आने की कोशिशों के कारण नाराज़ कट्टरपंथी विचारधारा वाले और मुस्लिम विरोधी वोटर्स को खुश करने की कश्मीर की मामले में लोलीपॉप देकर खुश करने की कोशिश भी हो सकती है.
पत्रकार शुजाअत बुखारी व कश्मीर के भारतीय सैनिक औरंगज़ेब की हत्या के बाद वैसे भी भाजपा और पीडीपी की गठबंधन सरकार सवालों के घेरे में थी. कि आखिर क्यों इस सरकार के शासनकाल में सैनिकों की हत्याएं और आतंकवादी हमलों में बढ़ोतरी हुई है.
फ़िलहाल भाजपा के नेता व प्रवक्ता ऐसा व्यवहार कर रहे हैं, जैसे वो सत्ता में थे ही नहीं. जबकि ये सर्वविदित है कि भाजपा जम्मू एवं कश्मीर में पीडीपी गठबंधन के साथ हर नाक़ामी के लिए उतनी ही ज़िम्मेदार है, जितनी की पीडीपी.