“आज़ादी को भीख” बताने वाली कंगना रनौत को अब पद्मश्री लौटाना होगा ?

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सोशल मीडिया (social media) पर कंगना रनौत (kangana ranaut) ट्रोल हो रही है, वैसे कोई नई बात नहीं है क्योंकि होती रहती है। इस बार की ट्रोलिंग ट्विटर (Twitter) पर किसी ट्वीट को लेकर या किसी एलिगेशन को लेकर नहीं है। बताते चलें कि कंगना के ट्रोल होने का कारण ट्विटर हो भी नहीं सकता। क्योंकि उनका और उनकी बहन का ट्विटर अकाउंट ससपेंड चल रहा है। दरअसल, ये बवाल एक मीडिया समूह के साथ अपने इंटरव्यू में दिए एक बयान को लेकर है। बयान क्या था वो बताएंगे, पहले मामला क्या है वो जान लीजिए।

मामला क्या है :


तो हुआ ये था कि सोमवार 8 नवम्बर को राष्ट्रपति भवन में कंगना रनौत को पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। जिसके बाद 10 नवम्बर को कंगना रनौत टाइम्स नाउ न्यूज़ चैनल पर इंटरव्यू देने पहुंची थी। वहां एंकर के सवाल और कंगना के जवाब का सिलसिला शुरू हुआ।

एंकर के सवाल में ट्विटर का ज़िक्र था लेकिन असली मामला तब शुरू हुआ जब सवाल किया गया कि “आपको दो नेशनल अवॉर्ड कोंग्रेस (congress) के शासन में मिले, कोंग्रेस वीर सावरकर (veer savarkar) को देशभक्त नहीं मानती। कोंग्रेस का कहना है कि वीर सावरकर ने सेल्युलर जैल में अंग्रेज़ो से माफी मांगी थी ?

एंकर के इस सवाल ने तो चिंगारी का ही काम कर दिया, कंगना ने जवाब में कहा कि वो पक्की देश भक्त हैं और उन्होंने सावरकर को पढ़ा है और पूरी रिसर्च की है। आगे कहा कि मैं जानती हुँ कि 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम लड़ा गया था। लेकिन मुझे नहीं पता कि 1947 में कौंन सा युद्ध लड़ा गया था जिससे हमें आज़ादी मिली।

ब्रिटिशों ने हमें गुलाम युद्ध के बाद बनाया था तो आज़ादी कोंग्रेस के भीख के कटोरे में क्यों दी। कंगना रनौत यही नहीं रुकी उन्होंने आगे कहा ” भीख में मिली आज़ादी, क्या आज़ादी हो सकती है? 1947 में मिली आज़ादी भीख में मिली आज़ादी थी, सही मायने में आज़ादी हमें 2014 में मिली है।”


आज़ादी के 75 साल बाद आज़ादी पर सवाल क्यों :

आज कल देश मे आज़ादी को लेकर नई नई बाते सुनने को मिल रही है। यहाँ “हम सब मांगे आज़ादी” वाले नारे की बात नहीं हो रही है। यहाँ बात हो रही है, कुछ हफ्ते पहले दी लल्लनटॉप (the lallan top) के शो में bjp युवा मोर्चा की प्रवक्ता रुचि पाठक (ruchi pathak) के आज़ादी पर दिए बयान की।

रुचि ने “भारत को आज़ादी 99 साल की लीज़ पर मिली है” वाली बात कही थी। सही कहे तो आज़ादी के नए इतिहास को लिखने की गंगा यही से बहना शुरू हुई थी जिसमे अब कंगना ने भी हाथ धो लिए। वैसे कंगना के इस बयान पर कह सकते हैं कि व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के ज्ञान का पिटारा अब उनके हाथ भी लग चुका है।

1947 में आज़ादी भीख में मिली थी ?

कंगना BJP की सपोर्टर है, और प्रचारक भी है। प्रचारक है तो प्रचार करना चाहिए, लेकिन किसी का प्रचार करने के चक्कर में इतिहास की खिल्ली उड़ाना या उसे तोड़ मरोड़ कर “1947 में मिली आज़ादी को भीख में मिली आज़ादी बताना” सही नहीं है। हालांकि, गनीमत ये है कि 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम हुआ था इस बात को कंगना ने माना है। वैसे माने भी क्यों न, आखिर इसी युद्ध की वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई पर कंगना ने फ़िल्म बनाई थी।

 

कंगना के बयान पर व्यंग करती तस्वीर ( photo : TOI)


जो अच्छी खासी चली भी थी। लेकिन ज़रा कंगना को कोई ये बताए की लकड़ी के एक घोड़े और प्लास्टिक की तलवार हाथ मे लेने से आज़ादी नहीं मिलती। आज़ादी के लिए कुरबानी देनी पड़ती है जो रानी लक्ष्मीबाई, राजगुरु, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, नेता जी सुभाषचंद्र बोस, महात्मा गांधी, जैसे अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने दी थी।

असली आज़ादी 2014 में मिली थी :

आज़ादी को भीख में मिली आज़ादी बताने के बाद कंगना ने अपनी सफाई दी है। लेकिन अपने दूसरे बयान में भी कंगना ने यही बात कही और आज़ादी को लेकर एक और मज़ाक कर डाला। उन्होंने कहा कि मुझे जनकारी नहीं है कि 1947 में कौंन सा युद्ध लड़ा गया था जिससे हमें आज़ादी मिली। अगर किसी को पता है तो उन्हें बताए।

कंगना रनौत


लेकिन इससे पहले ज़रा कंगना ये बताए की 2014 में कौंन सी आज़ादी की लड़ाई लड़ी गयी थी। जो देश को 2014 में असली आज़ादी मिली। 2014 में सिर्फ लोकसभा चुनाव हुए थे और नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे। कंगना को पता होना चाहिए कि जिस पार्टी का वो प्रचार कर रही है उसने सबसे पहले कंगना के बयान से किनारा किया है।

कंगना से पद्मश्री वापस लेना चाहिए :

पहले देश के सर्वोच्च नागरिक पुरुस्कार से सम्मानित होने और फिर देश की आज़ादी को भीख बता देने वाली कंगना रनौत से पद्मश्री (padma shri) वापस लेने की मांग की जा रही। महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल (swati maliwal) ने सबसे पहले पुरुस्कार वापस लेने की बात कही। वहीं सोशल मीडिया पर बाकी लोग भी कंगना से पद्मश्री वापस लेने की बात कर रहे हैं और सोनू सूद (sonu sood) को पुरुस्कार का असली हकदार बता रहे हैं।


कहा जा रहा है की, कोरोना काल मे बिना किसी स्वार्थ के सबकी मदद करने वाले सोनू सूद पद्मश्री के असली हकदार है। कंगना रनौत ने अपने बड़बोले बयान देने के अलावा कोई ऐसा काम नहीं किया जो उन्हें पद्मश्री मिलना चाहिए। BJP के नेता वरुण गांधी ने कंगना के बयान पर कहा था कि स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को मज़ाक बनाया जा रहा है है। इस सोच को पागल पन कहूँ या देशद्रोह।