कोरोना के मामले में कितना कन्फ़्यूज़ हैं विशेषज्ञ ?

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स्वास्थ्य संगठनों और उनके कर्ताधर्ताओं ने पिछले दो माह में जितना दुनिया को भ्रमित किया है उतना एक साथ इतने कम समय में इतने सारे लोगों को कभी किसी विशेषज्ञों द्वारा नहीं किया गया। कोरोना को लेकर सभी संदेह में हैं। फर्क बस यह है कि आम लोग ज़्यादा और विशेषज्ञ उनसे थोड़ा कम सन्देह में हैं। और कभी तो लगता है कि विशेषज्ञ आम लोगों से ज़्यादा भ्रमित हैं।

कभी वे कहते हैं कि कोरोना तो एक फ्लू है जी इससे कोई मृत्यु वृत्यु नहीं होती और होती भी है तो केवल 1 से 2%। फिर थोड़े ही दिन बाद कहते हैं कि यह तो बायोवार है। और इससे मृत्युदर 1 से 2 की जगह सीधे 10 से 15% बता देते हैं। कभी कहते हैं कि यह दो माह में दुनिया से चला जाएगा, कभी कहते हैं एक साल में और फिर अपना बयान बदलकर कह देते हैं ये तो नहीं जाएगा जी, हमें ही इसके साथ जीना सीखना होगा।

पहले लक्षण बता दिए सारे जमाने को कि बुखार, सुखी खांसी, सर्दी। लोगों ने इसी को पैमाना मानकर स्क्रीनिंग की। फिर कह दिया अरे रुको रुको 80% कोरोना संक्रमित में तो पता है एक भी लक्षण नहीं होते। अब बताओ पकड़ कर आप मरीज़ों को। अब जो देश बेचारे भोले भाले थे, अपना दिमाग नहीं लगा पाते थे, बस आदेश का पालन करते थे वे तो टेंशन में आगए कि अब क्या होगा? जो देश में प्रवेश कर गए कोरोना के कैरियर उन्हें कैसे ट्रेस करें और वो जिनके सम्पर्क में आए उन्हें भी?

एक राष्ट्रपति का बयान आता है कि हाइड्रोऑक्सि क्लिरोक्विन इस नवजात कोरोना की रामबाण दवा है। फिर उन्ही के देश की एक यूनिवर्सिटी बता देती है कि इसके उपयोग से तो मृत्युदर प्लेसेबो देने से भी ज़्यादा है। मतलब बिना दवाई के रोगी के जीवित रहने की ज़्यादा संभावना है। फिर एक किसी दवाई पर रिसर्च पेश की जाती है कि इससे 95% कोरोना वायरस नष्ट हो जाते हैं। मैं कहता हूं अरे प्रभु 95% तो ये बेचारा कोरोना स्वतः ही नष्ट हो रहा है तो आपकी दवाई कौनसा तीर मार रही है। यह हमें लूटने के अलावा और क्या हथकंडा है भला?

एक रिसर्च पेश कर दी जाती है कि BCG का टीका इसमें बेहतर काम कर रहा है। जिस जिस देश वालों को यह लगा है ना उनमें यह कम फैला है मालूम आपको! अरे भाई! हमारे देश में लगभग सभी को लगा है यह टीका। और जिस बीमारी के लिए यह लगता है यानी कि टीबी उससे हमारे यहाँ रोज़ाना 1200 लोग मर रहे हैं। अब जिसके लिए ये महान टीका बनाया गया था उसी में काम नहीं कर रहा और आप कह रहे हैं कि कोरोना में काम करेगा। मुझे लगता है कि आप मल्टीनेशनल कंपनी वाले सोच रहे होंगे कि जब तक कोरोना का टीका नहीं बनता है तब तक इन मासूम निरीह लोगों को BCG ही बेच दो।

अब मुझे तो यह डर है कि कोई स्वास्थ्य संगठन का प्रमुख मेरे पसंदीदा प्रोग्राम बिग_बैंग_थ्योरी के सबसे फेवरेट पात्र ‘शेल्डन’ की तरह हम सबको चौकाते हुए कोरोना के बारे में ही यह ना कह दे- बज़िंगा ..

~डॉ अबरार मुल्तानी, लेखक और चिकित्सक