मुग़ल शासक दारा शिकोह की मदद करने वाले सिक्खों के सातवें गुरु “हर राय”

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सिक्खों के 7वें गुरु “गुरु हर राय” को साहित्य में “हरी राय” के नाम से भी सम्बोधित किया गया है। मेहज़ 14 वर्ष की उम्र में उन्हें छठे गुरु हरगोविंद की मृत्यु के बाद सिक्खों का सातवां गुरु बनाया गया था। बाकी गुरुओं की ही भांति उन्होंने भी मानवता के लिए कार्य किया। 17 साल तक सिक्खों के मार्गदर्शन करते हुए 1661 में 31 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गईं।

छठे गुरु हरगोबिंद ने जिस सेना को जमा किया था, गुरु हर राय ने उसे संभाला। हालांकि वो संघर्ष से हमेशा परहेज़ करते थे, लेकिन वो एक बेहतरीन योद्धा भी थे। उन्होंने इंसानियत के लिए मुगल शासक औरंगजेब के भाई दारा शिकोह की मदद भी की थी। अपने अंतिम वर्षों में अपने 5 साल के बेटे हर कृष्ण को 8वे गुरु के रूप में चुना और देह त्याग दिया।

शुरुआती जीवन

गुरु हर राय का जन्म 16 जनवरी 1630 को पंजाब में हुआ था। उनके पिता बाबा गुरदित्त और माता निहाल कौर थी। 8 वर्ष की उम्र में पिता को खो दिया था। और 10 वर्ष की उम्र में माता किशन कौर से शादी की। उनकी दो संताने थी बड़ा बेटा राम राय और छोटा बेटा हर कृष्ण।

उनके बड़े भाई धीर मल को शाहजहां का प्रोत्साहन और समर्थन प्राप्त होने के चलते धीर मल ने एक अलग सिख धर्म स्थापित करने की कोशिश की थी। इसे सिख धर्म के समानांतर चलने वाली सिख परंपरा कहा जाता था। इसमें धीर मल अपने दादा और छठे गुरू हरगोबिंद की आलोचना करता था। धीर मल इस बात से नाराज़ था कि गुरु हरगोबिंद ने सातवे गुरु के रूप में हर राय को चुना।

बड़े बेटे को बर्खास्त कर दिया था

1660 में मुगल शासक औरंगजेब ने गुरु हर राय को अपने दरबार मे बुलाया था। वो चाहता था कि हर राय दरबार में आकर अपना, दारा शिकोह के साथ सम्बन्ध सार्वजनिक करें । लेकिन यहाँ गुरु हर राय ने अपने बेटे राम राय को भेज दिया। औरंगजेब ने अपना खेल शुरू किया और राम राय को बंधक बना लिया। औरंगजेब ने राम राय से एक सवाल भी पूछा जो आदि ग्रंथ से जुड़ा हुआ था।

औरंगजेब ने एक कविता का ज़िक्र करते हुए कहा की आदि ग्रंथ में मुसलमानों को अपमानित किया गया है। बता दें कि आदि ग्रंथ उस समय सिक्खों के पवित्र ग्रंथ हुआ करता था जो आगे चलकर गुरबाणी हो गया। ऐसे में राम राय आदि ग्रंथ के लिए खड़ा नहीं हुआ और औरंगजेब के लिए उसने कविता ही बदल डाली। गुरु हर राय बेहद नाराज हुए और अपने उत्तराधिकारी के तौर पर बड़े बेटे को बर्खास्त कर दिया।

दारा शिकोह की मदद की

1658 में मुग़ल शासक औरंगजेब और भाई दारा शिकोह के बीच अपने उत्तराधिकार के लिए जंग छिड़ी थी। औरंगजेब ने दारा शिकोह को मात दी और उत्तराधिकार अपने नाम कर लिया। इसके बाद औरंगजेब के कुछ सैनिकों ने दारा शिकोह को ज़हर दे दिया। जिसके बाद गुरु हर राय ने दारा शिकोह को न केवल चिकित्सक सहायता दी बल्कि अन्य प्रकार का समर्थन भी दिया। ऐसा उन्होंने इसलिए किया क्योंकि दारा शिकोह ने अपने भाई के साथ अपने हक के लिए लड़ाई लड़ी थी। इसके बाद औरंगजेब ने दारा शिकोह को गिरफ्तार कर धर्मत्याग के आरोप में मार डाला।

सार्वजनिक गायन और पाठ की परंपरा शुरू की थी

गुरु हर राय ने सिख धर्म में कई सार्वजनिक गायन और शास्त्र पाठ की परंपराएं शुरू कीं थी। कथा और प्रवचन शैली गायन करने के लिए, गुरु हर राय से  शब्द कीर्तन की परंपरा जोड़ी गयी थी। उन्होंने अखंड कीर्तन या सिख धर्म की निरंतर शास्त्र गायन परंपरा के साथ-साथ जोतियां दा कीर्तन या सामूहिक लोक कोरल गायन की परंपरा को भी जोड़ा। आम सिख मान्यता यह है कि गुरु हरगोबिंद साहिब जी, गुरु हर राय और गुरु हरकृष्ण ने किसी भी बानी में योगदान नहीं दिया था। लेकिन कहा जाता है कि गुरु हर राय ने सलोक महल सतवेन लिखा था। यह महल गुरु ग्रंथ साहिब के कीरतपुरी बीर में है।

केवल 31 साल की उम्र में अपने 5 साल के बेटे को सिक्खों के 8वा गुरु चुनकर 1661 में गुरु हर राय की किरतपुर साहिब में  मृत्यु हो गयी।