असल डर कहीं राफेल का तो नहीं है ?

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अमर उजाला के अनुसार  आलोक वर्मा को जब पहली बार 23-24 अक्तूबर 2018 की रात जबरन छुट्टी पर भेजा गया तो उनके कमरे में मौजूद ‘राफेल’ मामले की फाइलें निकाल ली गई थीं। हालांकि उस रात वर्मा के कमरे की चाबी तो हेडक्वार्टर में मिल गई, लेकिन कुछ सेल्फ ऐसे थे, जिन्हें तोड़ा गया था। फाइलें मिलने के बाद उनके कमरे को लॉक किया गया। अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद वर्मा ने जब फिर से दफ्तर ज्वाइन किया तो राफेल की फाइल दिन के उजाले में दोबारा सीबीआई दफ्तर पहुंच गई। सूत्रों का कहना है कि इस बार जो फाइल वर्मा की टेबल पर पहुंची, उसमें फ्रांस सरकार की ओर से भेजे गए कई अधिकारिक दस्तावेज भी शामिल थे।
राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी का दावा है कि राफेल के दस्तावेज आलोक वर्मा के पास पहुंच चुके थे। राफेल मामले की तफतीश चल रही थी। इस मामले से जुड़े कई अहम दस्तावेज और दूसरे सबूत आने वाले थे। आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद पर काम करने के लिए अगर चंद घंटे और मिल जाते तो केंद्र सरकार हिल जाती। ऐसे में प्रधानमंत्री, भाजपा अध्यक्ष और देश के एक टॉप नौकरशाह पर आंच आनी तय थी। सिंघवी ने कहा, राफेल को छोड़कर अन्य कोई दूसरा कारण ही नहीं था कि जिससे सरकार को दोनों बार रात में ही सीबीआई प्रमुख को हटाना पड़ा।
सीबीआई मुख्यालय में रात को चले ऑपरेशन के दौरान वर्मा के कमरे तक पहुंचे मध्यम स्तर के एक अधिकारी के मुताबिक, सीवीसी, डीओपीटी के अलावा दिल्ली पुलिस के भी कई बड़े अफसर यहां पहुंचे थे। राफेल की फाइलें तलाशने में करीब डेढ़ घंटा लगा। इस चक्कर में कई दूसरी फाइलें भी चली गईं। दो अफसर वर्मा के कमरे से कुछ फाइलें निकालकर उन्हें एक दूसरे अधिकारी के कमरे में ले गए। एक फाइल में करीब 52 पेज तो दूसरी में करीब 117 पेज थे। खास बात है कि ये फाइलें सीबीआई के अधिकारिक कवर वाली फाइलों से अलग थीं।
सीबीआई मुख्यालय में बुधवार को आलोक वर्मा के पहुंचते ही सबसे पहले उनके चहेते अधिकारी एके बस्सी, जिनका तबादला अंडेमान किया गया था, मिलने पहुंचे। उनके साथ वे तीन अधिकारी भी थे, जिन्हें वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के बाद उनके मौजूदा पदों से हटा दिया था। इनमें से दो अधिकारी ऐसे थे, जो वर्मा से दोपहर बाद भी मिलने पहुंचे। अगले दिन सुबह भाजपा नेता सुब्रमणयम स्वामी सीबीआई मुख्यालय आए। विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि इसके बाद दोपहर को सफेद रंग की इनोवा गाड़ी से आई कुछ फाइलें सीधे 11वीं मंजिल पर पहुंचाई गईं। वहां पर पहले से तैनात खुफिया एजेंसी के सीक्रेट एजेंट ने उन फाइलों को लेकर लिफ्ट के पास भी संबंधित व्यक्ति से कुछ पूछने का प्रयास किया था। इसके बाद सरकार को यह अलर्ट चला गया कि कुछ संदिग्ध फाइलें सीबीआई मुख्यालय आई हैं।
वकील प्रशांत भूषण, अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा ने वर्मा को सबसे पहले राफेल मामले की शिकायत दी थी। इसमें उन्होंने दस पेज में सारा मामला समझाया था। राफेल मामले में कौन सी अपराधिक धाराओं के तहत मामला दर्ज हो और इसकी कैसे जांच कराई जाए आदि बातें लिखी थीं। इसके बाद 31 पन्नों में बतौर एनेक्सर था, जिनमें कई तरह के सबूतों का समायोजन किया गया। इनके बाद आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी सीबीआई को राफेल मामले की जांच के लिए शिकायत सौंपी। आलोक वर्मा ने इन फाइलों में कही गई बातों की सत्यता और विश्वसनीयता जांचने के लिए रक्षा मंत्रालय की मदद मांगी।