पहले से आधार और आयुष्मान कार्ड हैं, तो फिर ये नई हेल्थ आईडी का क्या औचित्य है?

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डिजिटल स्वास्थ्य मिशन की डिटेल आनी शुरू हो गयी है दरअसल यह पूरा मिशन WHO की डिजिटल हैल्थ गाइड लाइन के अनुरूप ही किया जा रहा है जिसकी अंतिम परिणीति होगी है मानव शरीर मे माइक्रोचिप को इंस्टाल करना,स्वीडन में बड़े स्तर पर इसे लागू करने के प्रयास हुए हैं , यूरोप में भी इस तकनीक पर काम शुरू हो गया है।

वैसे भी आने वाले समय मे 5G के कारण दुनिया तेजी से बदलने वाली है, अब इंटरनेट ऑफ थिंग्स का जमाना आने वाला है। इसमे आर्टिफिशियल इंटलीजेंस अपने चरम पर होगा, मशीने ही आपस मे बात कर निर्णय ले सकने की क्षमता से लैस होगी यह सब उसी की तैयारी है।

फिलहाल भारत मे डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के तहत प्रत्येक नागरिक को एक विशिष्ट स्वास्थ्य पहचान नंबर हैल्थ आई डी दिया जाएगा। यह आधार सरीखा नम्बर होगा, हेल्थ आईडी के अस्तित्व में आने के बाद पैदा होने वाले बच्चों के टीकाकरण से लेकर अन्य उपचार तक के सभी रिकॉर्ड ठीक तरह से उस यूनीक नंबर के साथ जुड़े रहेंगे।

भारत के सरकारी सूत्रों का दावा है कि एक बार किसी व्यक्ति का रजिस्ट्रेशन होने पर उसे एक यूनीक हेल्थ आईडी मिल जाएगी, जिससे मरीजों या डॉक्टरों द्वारा विभिन्न हेल्थ स्कीमों का दुरुपयोग नहीं हो पाएगा। इस कदम से हेल्थ सेक्टर में पारदर्शिता आएगी और धोखाधड़ी पर लगाम लगेगी।

यह दावा मूर्खतापूर्ण है जब इसके लिए आपने आयुष्मान भारत जैसी योजना लागू कर ही है तो जनता को यह नया लॉलीपॉप क्यो थमाया जा रहा है। आपके पास आधार नम्बर भी मौजूद है, तो फिर यह नया आईडी क्यो बनवाया जा रहा है? साफ समझ मे आ रहा है कि यह वैश्विक स्तर पर ID2020 की योजना का भारतीय संस्करण है।

अभी इस योजना को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर छह केंद्र शासित राज्यों में शुरू किया जा रहा है, डिजिटल हेल्थ कार्ड 14 डिजिट का बनाया जाएगा । इसमे डिजिटल हेल्थ आईडी कार्ड सुविधा होगी लेकिन उसे साथ रखने की जरूरत नहीं, डिजिटल आईडी के जरिए भी काम हो सकेगा।

यानी बात साफ है कि उन्हें आधार से इतर एक अलग आईडी चाहिए, लकिन यह अलग से आईडी क्यो चाहिए वो ये नही बता रहा है। दरअसल इसे कोरोना वेक्सिनेशन से जोड़ने का प्लान है इसलिए इसे आप ऐच्छिक नही कम्पलसरी ही मानिए । आज अगर आपको यह बता दिया जाएगा तो आप चौकन्ने हो जाओगे, इसलिए धीरे धीरे कर के बताया जाएगा ।