मुमताज़ की मौत के बाद शाहजहां ने दो साल तक नही पहना था शाही लिबास

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मुगल बादशाह शाहजहां ( Mughal Emperor Shahajahan) और उनकी खास सबसे पसंदीदा बेगम मुमताज महल ( Mumtaz Mahal) को उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थित ताजमहल के लिए याद किया जाता है। ये ताज महल (Taj Mahal)  दुनिया के सात अजूबों में से एक है। दुनिया में ये अपनी सफेद सुंदरता के लिए जाना जाता है। उसी तरह मुमताज जिनकी कब्र आज भी आगरा के ताज महल में हैं। वह खुद भी के इतनी ही खूबसूरत थी कि उनकी सुंदरता के हर जगह चर्चे थे।

मुमताज की सुंदरता पर ही शाहजहां मर मिटे थे और उन्हें अपनी सबसे पसंदीदा बेगम बना लिया। यही नहीं शाहजहां ने कई कवियों से मुमताज की खूबसूरती का वर्णन करने को कहा था। मुमताज काफी दयालु और नम्र स्वभाव की थीं। उन्होंने हमेशा बेसहारा और जरूरतमंद लोगों की मदद की थी। इसके आलावा अगर आज की आधुनिक भाषा में कहा जाए तो, मुमताज “ब्यूटी विद ब्रेन” थीं। मुमताज शाहजहां के राज-काज से जुड़े के हर निर्णय में उनका साथ दिया करती थीं। आज मुमताज की पुण्यतिथि पर हम आपको बताने जा रहे हैं उनकी निजी जिंदगी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें –

ये था मुमताज का असली नाम

मुमताज महल का असली नाम अर्जुमंद बानो था। मुमताज का जन्म आगरा के एक शाही घराने में ही हुआ था। उनके पिता का नाम अब्दुल हसन आसफ खां था। मुमताज के पिता शाहजहां के पिता जहांगीर के दरबार में वजीर हुआ करते थे, साथ ही। अब्दुल हसन की बहन यानी मुमताज की बुआ नूरजहां जहांगीर की सबसे प्रिय बेगम थीं।

ऐसे मिले मुमताज और शाहजहां

मुमताज महल बेगमों के हरम से जुड़े मीना बाजार (Meena Bazar)  में कांच और रेशम के मोती बेचा करती थीं। इसी बाजार में उनकी मुलाकात 1607 मुगल वंश के शहजादे खुर्रम ( शाहजहां) से हुई। जब इन दोनों की मुलाकात हुई तब मुमताज महज 14 साल की थीं। इसी मीना बाजार से एक अमर प्रेम कहानी की शुरुआत हुई। समय के साथ इनका प्यार परवान चढ़ता गया और 5 साल बाद 1612 में दोनों शादी के बंधन में बंध गए। माना जाता है कि शाहजहां मुमताज के बिना एक पल भी नही रह पाते थे।

राज्य में सबसे ज्यादा अधिकार थे मुमताज के पास

शाहजहां की और भी कई बेगमें थीं। लेकिन जो अधिकार और सम्मान मुमताज की मिलता था वो किसी बेगम को हासिल नहीं था। मुमताज की ‘मलिका-ए-जमानी’ की उपाधि से नवाजा गया। इतिहासकारों की माने तो मुगल सम्राट शाहजहां ने मुमताज को राजनीति से जुड़े फैसले लेने के भी कई अधिकार दिए हुए थे। यहां तक की मुमताज की मुहर के बैगर कोई शाही फरमान जारी भी होता था। इतना ही नहीं शाहजहां अपने राजनीतिक दौरों पर भी मुमताज को साथ लेकर जाया करते थे।

मुमताज और शाहजहां द्वारा बनाए गए महल

मुमताज शाहजहां की सबसे खास बेगम थीं और शाहजहां ने मुमताज के लिए कई ऐसे काम भी किए, जिससे पता चलता है कि मुमताज शाहजहां के लिए अन्य बेगमों से कहीं ज्यादा मायने रखती थी। वैसे तो मुमताज ने नाम पर बनाई गई बस एक ही इमारत मशहूर है। पर शाहजहां ने अपनी बेगम के लिए ऐसी कई इमारतों का निर्माण करवाया था जो मुमताज के प्रति शाहजहां की मोहब्बत के गवाह बने। बादशाह शाहजहां ने मुमताज के लिए आगरा में खास महल, मुहर उजाह, शाही मुहर जैसे शानदार महल बनवाया थे। इसके अलावा मुमताज की याद में दुनिया का सबसे खूबसूरत ताज महल बनवाया।

मुमताज के बेटे दराशिकोह को बनाना चाहते थे उत्तराधिकारी

मुमताज ने अपनी जीवन में कुल 14 बच्चों को जन्म दिया था। जिसमें से केवल 7 बच्चे ही जीवित बचे। मुमताज-शाहजहां के बाकी बच्चों की मृत्यु किशोर अवस्था में ही हो गई थी। जो बच्चे जीवित बचे जहांआरा बेगम और दराशिकोह शामिल थे। माना जाता है कि दराशिकोह शाहजहां का सबसे समझदार, सभ्य और बुद्धिमान बेटा था। इसी कारण शाहजहां इन्हें अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे। हालांकि बाद में शाहजहां के दूसरे बेटे औरंगजेब ने दराशिकोह को हरा का गद्दी पर कब्जा कर लिया था।

गौहर बेगम को जन्म देते हुए ली आखिर सांस

मुमताज के 14 बच्चे हुए, अपनी आखिरी औलाद गौहर बेगम को जन्म देते हुए मुमताज ने आखिरी सांस ली। दरअसल, गौहर बेगम के जन्म के समय मुमताज को काफी ज्यादा प्रसव पीड़ा हो रही थीं इसी दौरान उन्होंने 17 जून 1631 में दम तोड दिया

मुमताज की मौत की खबर सुनते ही शाहजहां काफी टूट गए थे। यह भी कहा जाता है कि मुमताज की मौत के बाद पूरे दो साल तक शाहजहां शोक मनाते रहे। इन दो सालों में रंगीन मिजाज शाहजहां ने अपने सभी तरह के शौक त्याग दिए थे। इस शोक के दौरान न ही शाहजहां ने किसी प्रकार का कोई शाही लिबास बदन पर पहना और न ही किसी शाही जलसे में शामिल हुए। वह अपने और मुमताज की मोहब्बत को ज़माने में अमर चाहते थे। इसलिए शाहजहां ने मुमताज की याद में ताज महल बनवाया। जिसकी भव्यता और खूबसूरती देखते ही मन मोह लेती है। इसी वजह से ये दुनिया के सात अजूबों में शामिल है। इस ताजमहल को बनवाने में पूरे 23 साल लगे। आज भी ये देश-विदेश के पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है।

ताज महल में मुमताज की एक बड़ी और आकर्षक कब्र है, इसीलिए ताज महल को को मुमताज का मकबरा भी कहा जाता है और जैसा शाहजहां चाहते थे मुमताज और उनकी प्रेम कहानी इस ताज महल ने अमर बना दी। सदियों से आज तक ताज महल इन दोनों के प्रेम की गवाही दे रहा है।