सरकारी अध्ययन के अनुसार कोरोना की दूसरी लहर ने युवाओं को किया था अधिक प्रभावित

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पिछले साल अप्रैल से कोरोना महामारी शब्द हमारी ज़िंदगी से इस तरह चिपक गया है कि अलग होने का नाम ही नहीं ले रहा है। शुरुआत में कोरोना की पहली लहर ने अपना प्रकोप दिखाया फ़िर इस साल की शुरुआत से दूसरी लहर ने कहर बरपाना शुरू कर दिया। अब इसकी तीसरी लहर को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है। दूसरी लहर में कोरोना के डेल्टा वेरिएंट ने तबाही मचाई थी। अब इसका ही नया रूप डेल्टा प्लस वेरियंट आ गया है।आशंका ये भी जताई जा रही है कि डेल्टा प्लस वेरियंट ही तीसरी लहर के लिए ज़िम्मेदार हो सकता है।

एक सरकारी अध्ययन के अनुसार अब तक सबसे ज़्यादा चिंताजनक कोरोना की दूसरी लहर रही है। इसने सबसे अधिक युवाओं को प्रभावित किया है। दूसरी लहर में ही सबसे अधिक कोरोना मरीज़ों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

जहां पहली लहर में लोगो को सामान्य बुखार के लक्षण थे वहीं दूसरी लहर में सांस लेने में तकलीफ के साथ साथ फेफड़ो से जुड़े और लक्षण देखे गए।

इस अध्ययन को इंडियन जनरल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित किया गया है। इसके मुताबिक नेशनल क्लीनिकली रजिस्ट्री फ़ॉर कोविड 19(NCRC) के तहत इंडियन कॉउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR),ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (AIIMS) और नेशनल सेंटर फॉर डिसीज़ कंट्रोल (NCDC) ने मिलकर इस अध्ययन के लिए डेटा इकट्ठा किया है।

इस रिसर्च के लिए 40 अस्पतालों के मरीज़ों के सेम्पल लिए गए।एक सितंबर 2020 से 31 जनवरी 2021 और 1 फरवरी से 11 मई के सेम्पल इक्कट्ठा किये गए हैं। NCRC के तहत कुल 18,961 सेम्पल इकट्ठा किये गए जिसमे 12,059 फर्स्ट वेव और 6,903 सेकेंड वेव के सेम्पल हैं। अध्ययन के मुताबिक दूसरी लहर में अस्पताल में भर्ती मरीज़ों की मृत्यु दर में 3.1%की वृद्धि हुई है

देश के डॉक्टर और रिसर्चरों ने इस अध्ययन पर चिंता जताई है

नेशनल क्लीनिकली रजिस्ट्री फ़ॉर कोविड 19 की इस सरकारी रिपोर्ट को लेकर पूरे देश के डॉक्टरों और रिसर्चर्स ने चिंता व्यक्त की है। इस रिसर्च में बताया गया है कि दूसरी लहर में अधिकतर प्रभवित होने वाले युवा थे। वहीं 20 साल की उम्र के नीचे के लोगो को छोड़ कर बाकी सभी ऐज ग्रुप में कोरोना से मौत का आंकड़ा भी बड़ा है। अध्ययन के मुताबिक अस्पताल में कोरोना से होने वाली मृत्यु दर में 3.1 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।वहीं दूसरी लहर में मरीज़ों को सांस लेने में तकलीफ होने की बात सामने आई है।

QRG हेल्थ सिटी,फरीदाबाद के एचओडी और सीनियर कंसल्टेंट संजीव दत्ता का कहना है कि कोरोना की दोनों लहरों में 60 साल की उम्र से अधिक के लोग ज़्यादा एफ्फेक्टिड हुए है। ये बात और है कि दूसरी लहर में 40 से कम उम्र के युवा अधिक कोरोना की चपेट में आए। इसमें सबसे अधिक वो मरीज थे जो हाइपरटेंशन, डाइबिटीज और लो इम्यूनिटी से सर्वाइव कर रहे थे। संजीव आगे कहते है कि कोरोना की दोनों वेव्स में बुखार एक कॉमन सिम्टम्स था लेकिन सेकेंड वेव में अधिकतर मरीज़ों को चेस्ट से जुड़ी तकलीफ हो रही थी।

तीसरी लहर में कोरोना से बचाव के रास्ते:

दुनिया के अधिकतर देशों ने कोरोना की दोनों वेव्स को झेल लिया है। वही कुछ देशों में तीसरी लहर भी आ चुकी है। डॉक्टर संजीव कहते हैं कि तीसरी लहर में कोरोना से बचाव हमारा व्यवहार ही कर सकता है। दो गज की दूरी,समय समय पर हाथ धोना। इम्यूनिटी बढ़ाना और सबसे ज़्यादा ज़रूरी वेक्सिनेशन करवाना ही कोरोना से बचाव है। वह आगे कहते हैं कि 18 साल से कम उम्र के लोगो मे वेक्सिनेशन के अप्रूवल का अभी इंतज़ार है।

दी हिन्दू की एक रिपोर्ट के अनुसार तीसरी लहर ज़्यादा घातक होगी इसका अभी कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।