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इन भड़काऊ गानों की वजह से देश में हो रहे हैं दंगे

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आजकल नफ़रत से भरे कुछ गाने आपको रामनवमी और अन्य धार्मिक जुलूसों में aam तौर पर बजते हुए दिख जायेंगे. इतने ज़हरीले गाने सुनकर आपको यकीन नहीं होगा, कि आखिर हमारे देश में इस तरह के गाने बनाए ही क्यों जा रहे हैं. आपको हर जगह रामनवमी और अन्य धार्मिक जुलूसों में आजकल आम बजते हुए नज़र आयेंगे.
जुलूस के नाम पर, ट्रक भर हथियार बेरोजगारों के हाथों में देकर मुस्लिम आबादियों में इन ज़हरीले बोल को बजाया जाता है. जब कुछ लोग आपत्ती लेते हैं, तो दंगा झड़प शुरू हो जाती है, जो बाद में दंगों में परिवर्तित हो जाती है.

आपको हर जगह रामनवमी और अन्य धार्मिक जुलूसों में आजकल आम बजते हुए नज़र आयेंगे.

  • पाकिस्तान में भेजो या कत्लेआम कर डालो
    आस्तिन के सांपों को न दुध पिलाकर पालो
  • दूर हटो, अल्लाह वालों क्यों जन्मभूमि को घेरा है
    मस्जिद कहीं और बनाओ तुम, ये रामलला का डेरा है
  • सुन लो *** पाकिस्तानी, गुस्से में हैं बाबा बर्फानी
  • जलते हुए दिए को परवाने क्या बुझाएंगे
    जो मुर्दों को नहीं जला पाते वो जिंदों को क्या जलाएंगे
  • जो छुएगा हिंदुओं की हस्ती को, मिटा डालेंगे उसकी हरेक बस्ती को
  • रहना है तो वहीं मुर्दास्तान बनकर रहो, औरंगजेब, बाबर बने तो खाक में मिला देंगे तुम्हारी हर बस्ती को.

इसी तरह के एक भड़काऊ गाने का यूट्यूब स्क्रीनशॉट


ये वो ज़हरीले बोल हैं, जो आजकल पुलिस की मौजूदगी में निकलने वाले हर धार्मिक जुलूस में देखे जा सकते हैं. क्या आपको ये बोल भड़काऊ नज़र नहीं आते ? कुछ मीडिया हॉउस के लोग हर शहर के बारे में ये खबर लिखते देखे जा सकते हैं. कि रामनवमी के जुलूस में पथराव हुआ तो दंगा हो गया.

क्या आपने इन तथ्यों पर गौर नहीं किया, क्या आपको ये गाने भाईचारा बढाने वाले नज़र आते हैं. क्या इन गानों के साथ मुस्लिम आबादियों की तरफ़ बढ़कर मस्जिदों के सामने डीजे का ट्रक रोककर बजाये जाने वाले ये भड़काऊ गाने आपको एकता का संदेश देते नज़र आते हैं. नहीं न, तो फिर क्यों इन गानों पर आपत्ति नहीं उठाई जाती.

क्या आप खुदको सभी और शांतिप्रिय कहलाना पसंद करते हैं, यदि हाँ तो इन भड़काऊ बोल पर कोई खबर क्यों नहीं बनाते, क्यों इनपर आपत्ति नहीं जताते. क्या भारत को हिंदुत्व का तालिबान बनाना चाह रहे हैं आप ?
क्या आप भी संघ और भाजपा के उस एजेंडे को बढ़ा रहे हैं, जो इन गानों में नज़र आती है, क्या ये सोच विध्वंसक सोच नहीं है. क्या ये नज़रिया भारत की अवाम को दो धडों में बाँटने वाला नज़रिया नहीं है? एक समुदाय विशेष को टारगेट करके बजाये जाने वाले ये भड़काऊ गाने आखिर पिछले तीन-चार साल से इतने खुलेआम किसके संरक्षण पर बजाये जा रहे हैं.
अगर आप वास्तव में शांतिप्रिय हैं, तो इन भड़काऊ गानों को गाने वालों को गिरफ्तार करिए. आपको चाहिए कि ये गाने हर जगह प्रतिबंधित कर दिए जाएँ. जो इन्हें बजाये उसे आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला घोषित किया जाए.